Sunday, 16 April 2017

                                                                   चूहा-चरित्रम्
                                                                                                              - देवकिशन राजपुरोहित
        संसार में भिन्न भिन्न प्रजातियों के प्राणी पाए जाते हैं। उन्ही प्राणियों में चूहा भी एक जीव है। यह स्तनधारी, काले व भूरे रंग का होता है तथा गर्म देषों में ज्यादा पाया जाता है। इस समय उत्तर प्रदेष के चुनावों में चूहा चर्चा में है। हमारे देष की सबसे बड़ी पार्टी जिसके पण्डित नेहरू जी सर्वे सर्वा थे, अब पतन की ओर सबसे छोटी होने जा रही कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी ने एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चूहें की संज्ञा दे दी कि ‘‘मोदी तो चूहा है।
        उनका कथन सुनकर कोई आष्चर्य नहीं हुआ क्योंकि उनके नेतृत्व में पार्टी का पतन निरन्तर जारी है। कभी हाथी जैसी भारी भरकम पार्टी कांग्रेस अब चूहे जैसी हो गई है, और वह समय दूर नहीं अगर यही दषा रही तो किसी कीड़े मकोड़े जैसी भी हो सकती है खैर हमें पार्टी से क्या लेना देना। हमें तो चूहा से मतलब है। हम पार्टी छोड़कर चूहे की तरफ चले।
         जैसे कि सब जानते हैं हमारे देष में प्रथम पूज्य गणेष भगवान हैं। ़ऋद्धि-सिद्धि, शुभ लाभ दायक गणेष से ही सभी कार्यो का श्री गणेष याने शुभारंभ होता है। बिना श्री गणेष कोई कार्य सम्पन नहीं होता है। मॉ शारदा के साथ साथ मैं भी अपनी रचना का श्री गणेष,गणेष भगवान को स्मरण कर करता हूॅ। गणेष भगवान का भी एक वाहन है। वह वाहन है चूहा। चूहे को मूषक भी कहते हैं। इस प्रकार श्री गणेष के समय गणेष भगवान के साथ चूहे की भी पूजा की जाती है। अगर श्री गणेष में चूहे को भुला दिया जावें तो कार्य सानन्द सम्पन्न हो ही नहीं सकता। शायद राहुल बाबा ने भगवान श्री गणेष का स्मरण चूहे के माध्यम से ही किया होगा और समझने वालों ने कुछ ओर अर्थ निकाला हो तो पता नहीं।
     चूहा कोई मामूली प्राणी तो है नही। उसका जितना आकार छोटा उससे भी बड़े तो उसके कारनामें है। कारनामें शब्द का प्रयोग शायद आपको कुछ अटपटा लगे। मगर एक बार भगवान श्री कृष्ण के विवाह में जब गणेषजी को निमंत्रण नही दिया तो उनके चूहे के नेतृत्व में सभी चूहों ने धरती में बिल बना बनाकर बारात को ही रोक दिया। अन्त में भगवान कृष्ण ने गणेष भगवान से क्षमा याचना कर उन्हे प्रथम पूज्य बना कर पहले उन्ही का विवाह ऋद्धि सिद्धि के साथ सम्पन्न कराया।
     चूहों के ही कारण या उनके कारनामों से देष में प्लेग फैला था। और जनसंख्या नियंत्रित हो गई थी। विक्रम संवत 1974 से 1976 में वह उस महामारी से राजस्थान की जनसंख्या आदि हो गई थी।
     राजस्थान में बीकानेर के विष्व प्रसिद्व करणी माता के मन्दिर में तो हजारों चूहे है जिनकी पूजा होती है। दूध और लड्डू चढाये जाते हैं। दुनिया भर के सैलानी यहॉ आकर चमत्कारिक चूहों के दर्षन करते है। शायद राहुल बाबा को किसी ज्ञानी ने चूहों के कारनामें बता दिये होगे तब उन्हांेने चूहे को याद किया ताकि कांग्रेस का अब और पतन ना हो। 
       चूहा परिश्रमी प्राणी है। दिन रात भागता रहता है। वह दिन भर कुछ ना कुछ खाता भी रहता है। चूहा जमीन में बिल बनाकर रहता है। वह नित्य नये बिल बनाता है। क्यांेकि उसके बिलों में तो सांप घुस जाता है। सांप कभी बिल नहीं बनाता। सांपो के बिल बनाने का निस्वार्थ श्रम केवल चूहा ही करता है। चूहा परिश्रमी व निस्वार्थ प्राणी है। हालाकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तो चूहे पर क्या षिक्षा ली,नही बताया। किन्तु वह चूहे से भी कोई ना कोई प्रेरणा लेते ही रहे होगे। ऐसा माना जाना चाहिए।
       चूहों पर पंचतंत्र-हितोपदेष आदि में कई ज्ञान वर्धक कहानियॉ भरी पड़ी है। जिनमें कबूतरों का जाल काटना,आदि प्रमुख है। चूहे का दुषमन सांप और बिल्ली है। वह अपने कार्यो के साथ साथ स्वयं के प्राणों की रक्षा भी करता है। चूहे प्राय उन घरों में अधिक होते है जहां अनाज खुले में पड़ा हो और घर कच्चे हो। घरों में चूहे कपड़ो को कुतरने का कार्य करते है और लोग चूहा भगाने,चूहा पकड़ने और चूहा मारने के निरन्तर प्रयास करते हैं। सरकार को प्रथम पूज्य गणेष वाहन मूषक या चूहे के संरक्षण संवर्धन की कोई योजना बनानी चाहिए और चूहों पर विषेष शोध भी करानी चाहिए। हालांकि प्राणी विज्ञान के शोधार्थियों ने चूहो पर भी शोध कार्य अवष्य किया होगा।
         इस समय देष द्रोहियों,बलात्कारियों,हत्यारों को मानवाधिकार और संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारों का लाभ दिया जाता है। बड़े बड़े वकील और राजनेता उनकी पैरवी करने के लिए सदैव तैयार रहते है। फिर चूहों को जहर देकर हत्याऐ करने वालों तथा पिंजरो में पकड़ने वालों पर रोक लगाई जायें और चूहों के जीने,खाने-पीने,कपड़े कुतरने के मौलिक अधिकार बहाल किये जाऐ।
          मोदी को आम सभाओं में चूहा चूहा कहने वाले राहुल बाबा उत्तरप्रदेष के चुनाव परिणाम के बाद से ना जाने चूहे के किस बिल में छुप गए है। कही दिखाई ही नहीं दे रहे है। अब योगी सरकार और मोदी सरकार का दायित्व बनता है कि सारे बिलों की जॉच कर राहुल बाबा को निकाल कर संसद में लेकर आऐ अन्यथा उन पर राहुल बाबा के अपहरण का आरोप भी लग सकता है।

                                                  सम्प्रति 
                                            द्वारा - एडवोकेट नरेन्द्र सिंह राजपुरोहित
                                                    राजपुरोहित भवन के सामने
                                                    इन्द्रा कॉलोनी बीकानेर, मो. 7976262808
                                                        


 मनोहर जाणी

9 comments:

  1. चूहा परिश्रमी प्राणी है। दिन रात भागता रहता है। वह दिन भर कुछ ना कुछ खाता भी रहता है। चूहा जमीन में बिल बनाकर रहता है। वह नित्य नये बिल बनाता है


    बहुत ख़ूब बहुत सटीक

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  2. प्रणाम गुरु जी

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  3. प्रणाम गुरु जी

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